Skip to main content
150 years of celebrating the Mahatma Make in India Swachhta Bharat Mission 2015 Years of Soil

निगरानी और मूल्यांकन (एम एंड ई)

निगरानी और मूल्‍यांकन प्रभाग (एमएण्‍डई)

ईएण्‍डएस विंग के अंतर्गत एमएण्‍डई प्रभाग आर्थिक सलाहकार के अंतर्गत आता है, प्रभाग में जिन विषयों का कार्य देखा जा रहा है उनमें तिमाही पुनरीक्षा बैठकों का आयोजन करते हुए पीएसयूज के कार्य निष्‍पादन की निगरानी, कृषि मंत्रालय से संबंधित मामले यथा जैव उर्वरक, शेष उर्वरक, मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड आदि, शहरी कम्‍पोस्‍ट सहित शहरी ठोस अपशिष्‍ट पर आधारित जैविक उर्वरक; नवीकरणीय/गैर-नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित विषय; स्‍वच्‍छ प्रौद्योगिकी एवं सामान्‍य पर्यावरणीय मुद्दे; इयर बुक (भारतीय उर्वरक परिदृश्‍य) का प्रकाशन; उर्वरक के क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित अध्‍ययन; उर्वरक विभाग की मासिक बुलेटिन शामिल है।

एमएण्‍डई प्रभाग दो चरण निकासी प्रक्रिया के आधार पर विद्यमान उर्वरक संयंत्रों के नवीनीकरण/आधुनिकीकरण/पुनरूद्धार के लिए आयात परियोजना हेतु तकनीकी आर्थिक अनापत्ति (टीईसी) संबंधी मामले भी देखता है। टीईसी मामलों को निपटाने के लिए उर्वरक विभाग द्वारा तैयार किए गए दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:-

प्रौद्योगिक मामलों के संबंध में (टीईसी) दिशा-निर्देश

अधिसूचनाओं की आवश्‍यकता के अनुसार उर्वर‍क विभाग ने प्रौद्यो-आर्थिक मंजूरी (टीईसी) देने के लिए आंतरिक दिशा-निर्देश तैयार किये हैं। नए उर्वरक संयंत्र (आरम्‍भिक स्‍थापना अथवा बड़ा विस्‍तार) और मौजूदा उर्वरक संयंत्र के नवीनीकरण/आधुनिकीकरण/पुनरुत्‍थान के लिए परियोजना आयात हेतु टीईसी नीचे दिए गए अनुसार दो स्‍तरीय मंजूरी/प्रक्रिया के आधार पर दी जाती है।

(।)    पहले स्‍तर पर, प्रस्‍ताव की अनिवार्यता की जांच उर्वरक विभाग के निदेशक (ईएण्‍डएस) द्वारा तकनीकी जानकारी हेतु पीडीआईएल के परामर्श से की जाती है और इसे आर्थिक सलाहकार और एएसएण्‍डएफए के जरिए सचिव, उर्वरक विभाग के अनुमोदन हेतु प्रस्‍तुत किया जाता है। प्रस्‍ताव की जांच योजना/परियोजना की अनुमानित पूंजी लागत और आयात हे‍तु प्रस्‍तावित सामान की लागत के आधार पर की जाती है। अनिवार्यता के अलावा, आवेदक/आयातक को वस्‍तुओं की खरीद के लिए प्रतिस्‍पर्धात्‍मक बोली प्रक्रिया अपनाना भी अपेक्षित है ताकि लागत को कम किया जा सके। स्‍वामित्‍व मदों के संबंध में आयातित मद के मूल्‍य की युक्तिसंगतता कंपनी/आवेदक द्वारा तय की जानी है। अनिवार्यता और वस्‍तुओं के मूल्‍य की युक्तिसंगतता स्‍थापित कर दिए जाने के बाद परियोजना आयात के पहले चरण की प्रौद्यो-आर्थिक मंजूरी/अनुमोदन दिया जाता है। परियोजना आयात के पहले चरण की प्रौद्यो-आर्थिक मंजूरी/अनुमोदन देने के लिए सचिव, उर्वरक विभाग सक्षम प्राधिकारी हैं।

(।।)   दूसरे चरण में, उर्वरक विभाग यह सुनिश्‍चित करने के बाद कि स्‍वामित्‍व प्रकृति की मदों के मामले को छोड़कर कंपनी/आवेदक द्वारा प्रतिस्‍पर्धात्‍मक बोली की प्रक्रिया का पालन किया गया है, आयात की जाने वाली मदों की सूची को सत्‍यापित करता है। मदों की सूची का सत्‍यापन उप सचिव के पद के तकनीकी अधिकारी द्वारा तथा उप सचिव, भारत सरकार द्वारा भी किया जाएगा और द्वितीय चरण का अनुमोदन आर्थिक सलाहकार अथवा विभाग में समकक्ष अधिकारी द्वारा प्रदान किया जाएगा।