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डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी)

प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रभाग

 अपर सचिव प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रभाग के अध्‍यक्ष होते हैं तथा निदेशक (डीबीटी) उनकी सहायता करते हैं। प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण प्रभाग को उर्वरकों में डीबीटी का कार्यान्‍वयन देश में डीबीटी से संबंधित सभी क्रिया-कलाप, एनआईसी के साथ समन्‍वय, डीबीटी पीएमयू/राज्‍य तथा जिला समन्‍वयकों का प्रशासन, आईएफएमएस से संबंधित क्रिया-कलाप आदि कार्य सौपा गया है।

पृष्‍ठभूमि:

सरकार ने उर्वरक राजसहायता भुगतानों के लिए प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली शुरू की है। उर्वरक डीबीटी प्रणाली के अंतर्गत खुदरा विक्रेताओं द्वारा लाभार्भियों  को की गई वास्‍तविक बिक्री के आधार पर उर्वरक कंपनियों को विभिन्‍न उर्वरक ग्रेडों पर 100% राजसहायता जारी की जाएगी। किसानों/क्रेताओं को राजसहायता प्राप्‍त सभी उर्वरकों की बिक्री प्रत्‍येक खुदरा बिक्री दुकान पर लगी प्‍वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के माध्‍यम से की जाएगी तथा आधार कार्ड, केसीसी, मतदाता पहचान पत्र आदि के जरिए लाभार्थियों की पहचान की जाएगी।

2.    डीबीटी कार्यान्‍वयन तथा वर्तमान स्थिति:

· उर्वरक विभाग ने 17 जिलों में 1.10.2016 से प्रायोगिक आधार पर प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली कार्यान्वित की है।

·विशेष रूप से डीबीटी के कार्यान्‍वयन पर निगरानी रखने के लिए विभाग में परियोजना निगरानी प्रकोष्‍ठ की स्‍थापना की गई है। चालू डीबीटी क्रिया-कलापों की निगरानी करने के लिए सभी राज्‍यों में 24 राज्‍य समन्‍वयकों की नियुक्ति की गई है।

·डीबीटी योजना के कार्यान्‍वयन के लिए प्रत्‍येक खुदरा बिक्री दुकान पर पीओएस मशीन की स्‍थापना, पीओएस मशीन चलाने के लिए खुदरा विक्रेताओं तथा थोक विक्रेताओं का प्रशिक्षण की आवश्‍यकता है। देश भर में चल रही पीओएस लगाने के एक भाग के रूप में तथा डीबीटी के राष्‍ट्र-व्‍यापी कार्यान्‍वयन के प्रणेता के रूप में आज की तिथि तक 6761 प्रशिक्षण सत्र संचालित किए गए है। एलएफएस द्वारा संचलित प्रारभ्भिक प्रशिक्षण सत्रों के दौरान लगभग 2.39 लाख खुदरा विक्रेताओं को जागरूक किया गया।    

·डीबीटी कार्यान्‍वयन की तैयारी के रूप में देश भर में बहुत से पणधारकों की शंकाओं के त्‍वरित समाधान के लिए 15 सदस्‍थीय एक समर्पित बहु-भाषी सहायता डेस्‍क की स्‍थापना की गई है। सहायता डेस्‍क रविवार सहित सभी कार्य दिवसों में प्रात: 9.30 से सांय 6.00 तक कार्य करेगी।

·सभी राज्‍यों/संघ शासित राज्‍यों को 1.9.2017 से गो-लाइव मोड पर रखा गया है तथा नीचे सारणी में दी गई गो-लाइव अनुसूची के अनुसार डीबीटी का अखिल भारतीय कार्यान्‍वयन (चरण-।) को मार्च, 2018 तक पूरा कर लिया गया है।

क्रम.सं

राज्‍य/संघ शासित प्रदेश का नाम

गो लाइव तिथि

1

एनसीटी दिल्‍ली

1 सितम्‍बर, 2017

2

मिजोरम, दमनएवं दियु, दादर नगर हवेली मणिपुर नागालैंड, गोवा, पुडुच्‍चेरी  

1 अक्‍तूबर, 2017

3

राजस्‍थान, उत्‍तराखंड, महाराष्‍ट्र अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, असम, त्रिपुरा 

1 नवम्‍बर, 2017

4

आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, छत्‍तीसगढ़ तथा एमपी

1 दिसम्‍बर, 2017

5

केरल, बिहार, कर्नाटक, झारखंड, तेलंगाना तथा टी-एन 

1 जनवरी, 2018

6

उत्‍तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल ओडिशा तथा हिमाचल प्रदेश

1 फरवरी, 2018

7

जम्‍मू व कश्‍मीर

1 मार्च, 2018

 4.    उर्वरक में डीबीटी की प्रमुख विशेषताएं:

§    एलपीजी में कार्यान्वित की जा रही डीबीटी की पारम्‍परिक प्रणाली से उर्वरकों में डीबीटी मॉडल अलग है।

§    उर्वरक राजसहायता में डीबीटी प्रणाली के अंतर्गत,किसान/लाभग्राही सांविधिक राजसहायता प्राप्‍त कीमत पर यूरिया तथा बाजार में राजसहायता प्राप्‍त कीमत पर पीएण्‍डके उर्वरक करते रहेंगे।

§    जिन उर्वरक कंपनियों को जिले में उर्वरकों की प्राप्ति पर राजसहायता प्राप्‍त हुआ करती थी अब वे बायोमैट्रिक अधिप्रमाणन के जरिए प्‍वांइट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन के माध्‍यम से खुदरा विक्रेताओं द्वारा कृषकों/लाभार्थियों को उर्वरकों की बिक्री के उपरांत राजसहायता प्राप्‍त करेंगी।

5.    राजसहायता भुगतान की मौजूदा प्रणाली

·राजसहायता भुगतान की मौजूदा प्रणाली आपूर्ति योजना के अनुसार जिला स्‍तर तथा खुदरा विक्रेता स्‍तर तक उर्वरकों के संचलन पर आधारित है।

·जिले में उर्वरकों की प्राप्ति पर प्रारम्भिक 85%-90% भुगतान   (यूरिया में 95%) लेखागत भुगतान पर जारी किया जाता है।

·शेष 10%-15% (यूरिया में 5%) खुदरा विक्रेताओं द्वारा मोबाइल उर्वरक निगरानी     प्रणाली एमएफएमएस में पुष्टि की प्राप्ति के उपरान्‍त जारी किया जाता है। राज्‍य सरकारें     स्‍वतंत्र रूप से उर्वरकों (अर्थात् प्रपत्र ख 1 तथा ख 2 में मात्रा तथा गुणता) की प्राप्ति पर     प्रमाणित कर सकती है तथा क्रमश 30 दिन एवं 180 दिन के भीतर उर्वरक निगरानी       प्रणाली (एफएमएस) में अपलोड कर सकती है।  

6.    डीबीटी ढ़ाचे के अंतर्गत राजसहायता भुगतान प्रणाली

·प्रस्‍तावित डीबीटी प्रणाली में खुदरा विक्रेता द्वारा लाभार्थी को वास्‍तविक बिक्री के आधार पर उर्वरक विनिर्माता कंपनियों के लिए राजसहायता का 100% भुगतान आवश्‍यक है।

·किसान अथवा क्रेता की पहचान बायोमैट्रिक, आधार आधारित, विशिष्‍ट पहचान संख्‍या अथवा मतदाता पहचान पत्र कार्ड अथवा किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा अधिप्रमाणित की जाती है।

·आधार आधारित बायोमैट्रिक अधिप्रमाणन को वरीयता दी जाएगी क्‍योंकि यह भू-अभिलेखों तथा कृषक के मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड से जुड़ा होता है। 

·इससे लाभार्थी द्वारा धारित कृषि भूमि के मृदा स्‍वास्‍थ्‍य प्रोफाइल से संगत उर्वरक के समुचित मिश्रण की सिफारिश हो सकेगी।

·तथापि, सिफारिश लाभार्थी के लिए बाध्‍य नहीं है तथा आरम्‍भ में उर्वरकों की बिक्री ‘' कोई खंडन नहीं रीति पर होगी।

·लाभार्थी को की गई बिक्रियों खुदरा विक्रेता के स्‍थल पर लगाई गई प्‍वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के माध्‍यम से अभिगृहीत की जाएगी। सभी उर्वरक बिक्री लेन-देन को वास्‍तविक समय आधार पर एकीकृत प्रबंधन प्रणाली (आईएफएमएस) प्रणाली में ऑनलाइन अभिगृहीत किया जाता है।

·दावों को साप्‍ताहिक आधार पर तैयार किया जाएगा और राजसहायता इलेक्‍ट्रानिक तरीके से कंपनी के बैंक खाते में प्रेषित की जाएगी।

7.    डीबीटी का लाभ:

·प्रस्‍तावित डीबीटी ढांचा लाभार्थी चालित राजसहायता भुगतान तंत्र है जिसे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर शुरू किया जा रहा है।

·यह लाभार्थियों का आधार जनित आंकड़ा सृजित करता है तथा क्रेता के स्‍तर पर लेन-देन दृश्‍यता प्रदान करता है।

·वास्‍तविक बिक्रियों को राजसहायता भुगतानों से जोड़ने से मूल्‍य श्रृंखला अर्थात् विनिर्माताओं से लाभार्थियों त‍क सहित अधिक पारदर्शी एवं शीघ्रता से निधियों का पता करने में सुविधा होती है।

·उर्वरकों का विपथन कम से कम होने की संभावना है।